गरियाबंद। संत श्री जलाराम बापा की 226वीं जयंती बुधवार 29 अक्टूबर को श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर गुजराती समाज का उत्साह देखते ही बनता था। गांधी मैदान स्थित हरीश भाई ठक्कर के निज निवास पर भव्य आयोजन हुआ, जहाँ सुबह मंगलाचरण और जलाराम बापा के तैल चित्र के पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। समाज के वरिष्ठजन, महिलाएँ, बच्चे और अन्य समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
कार्यक्रम के तहत अभिषेक, पूजन, दीप दान और महाभोग का अनुष्ठान संपन्न किया गया। महाआरती के पश्चात महिलाओं ने भजन-कीर्तन कर जलाराम बापा के गुणगान किए। पूजा के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में खिचड़ी, कढ़ी, नुक्ती और गठिया वितरित किया गया। शाम को भजन और गरबा का आयोजन हुआ, जिसमें समाज की महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

जलाराम बापा का संदेश – ‘सेवा ही धर्म है’
इस अवसर पर रोमा सरवैय्या ने संत श्री जलाराम बापा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जीवन ‘सेवा और अन्नदान’ के आदर्श पर आधारित था। उन्होंने “सदाव्रत” नामक भोजनालय की स्थापना की थी, जहाँ जरूरतमंदों को निःशुल्क भोजन दिया जाता था। उनका मानना था कि —ईश्वर की सेवा उन्हीं इंसानों की सेवा में है, जो जरूरतमंद हैं।”
रोमा सरवैय्या ने आगे कहा कि जलाराम बापा ने मानवता, भक्ति और सेवा का ऐसा संगम प्रस्तुत किया जो आज भी प्रेरणादायी है।
धार्मिक परंपरा का विस्तार
संत जलाराम बापा का जन्म संवत 1856 कार्तिक शुक्ल सप्तमी को राजकोट के पास वीरपुर ग्राम में हुआ था। उनके पिता प्रधान ठक्कर और माता राजबाई धार्मिक संस्कारों से परिपूर्ण थे। गुरु भोजलराम के आशीर्वाद से उन्होंने “सदाव्रत” भोजनशाला आरंभ की, जहाँ साधु-संतों और राहगीरों के लिए चौबीसों घंटे निःशुल्क भोजन की व्यवस्था रहती थी।
जनश्रुति है कि आज भी जो सच्चे मन से बापा की पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि आज जलाराम बापा का तीर्थस्थल वीरपुर विश्वभर में प्रसिद्ध है।
हरीश भाई ठक्कर ने कहा – “भक्ति और सेवा का संगम ही जलाराम बापा का सच्चा संदेश”
इस अवसर पर समाजसेवी हरीश भाई ठक्कर ने कहा—
“पूज्य संत श्री जलाराम बापा का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा है। वे हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची पूजा केवल मंदिर में नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा में है। हर वर्ष हम इसी भावना के साथ यह आयोजन करते हैं, ताकि समाज में प्रेम, भक्ति और एकता का संदेश फैलाया जा सके।”
उन्होंने बताया कि उनके निवास में प्रतिवर्ष जलाराम बापा की पूजा-अर्चना, महाआरती और प्रसाद वितरण की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस वर्ष यह आयोजन और भी भव्य रूप में संपन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सैकड़ों श्रद्धालु बने सहभागी
इस धार्मिक कार्यक्रम में गुजराती समाज के अलावा शहर के अन्य समाजों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। श्रद्धालुओं के लिए पूजा-अर्चना, स्वल्पाहार और दोपहर के भोजन-प्रसाद की व्यवस्था की गई थी।
समाज के प्रमुख जनों की उपस्थिति
कार्यक्रम में समाज प्रमुख घनश्याम भाई, भीखू भाई मयानी भारत भाई, हरीश भाई, संजय भाई, नितिन भाई, हसमुख भाई, अरविंद भाई, दीपक सरवैया, अमित ठक्कर, सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
महिला मंडल से भानुमति ठक्कर, भावना बेन ठक्कर, नैना बेन सरवैया, रेखा बेन वखारिया, रीता बेन वखारिया, कल्पना वखारिया, राजश्री ठक्कर, कोकिलाबेन, रीना वखारिया, अनिता मयानी, ममता मयानी, नूतन संघानी, हेमा बेन, रोमा सरवैया, माधवी सरवैया, अवनि सरवैया, जेसल ठक्कर, रुपाली ठक्कर, भक्ति ठक्कर, स्वाति वखारिया, पिंकी वखारिया, चेतना वखारिया, मानसी, निकिता खिलोशिया, सपना संगानी, चंचल टांक, पिंकी चावड़ा दीप्ति ज्योति मयानी और पूजा मयानी उपस्थित रहीं।

Satyanarayan Vishwakarma serves as the Chief Editor of Samwad Express, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering topics such as local and regional developments



