गरियाबंद/फिंगेश्वर। जिले में अवैध खनन पर लगाम लगाने की बात सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। फिंगेश्वर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत भेन्डरी के आश्रित ग्राम सरगोड़ और ग्राम चैतरा में बीते कई दिनों से माफिया खुलेआम तालाब व खेतों से अवैध मुरम खनन कर रहे हैं। आधी रात के अंधेरे में चेन माउंटेन और पोकलेन मशीनें तालाब खोद रही हैं, वहीं दिनदहाड़े जेसीबी मशीनों से 10 से 15 फीट गहराई तक खुदाई कर हाईवे पर ट्रकों में मुरम लोड किया जा रहा है। ग्रामीणों के विरोध और शिकायतों के बावजूद प्रशासन व खनिज विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। यही चुप्पी माफियाओं के लिए हरी झंडी साबित हो रही है।
रेत खनन पर रोक के बाद अब मुरम पर नजर
सूत्रों का कहना है कि जिले में अवैध रेत उत्खनन पर प्रशासन ने कुछ समय पहले रोक लगाई थी। इसी के बाद माफिया अपना धंधा बदलकर अब तालाब और खेतों से मुरम निकालने में सक्रिय हो गए हैं। रेत की तरह मुरम की भी भारी मांग है, जिसका फायदा उठाकर भू-माफिया रोजाना करोड़ों के खेल में जुटे हुए हैं।
ग्रामीणों से छल, लाखों का गुपचुप सौदा
भेन्डरी-सरगोड़ के ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने तालाब चौड़ीकरण के नाम पर लोगों को गुमराह किया। गांववालों को महज 20 हजार रुपये का सौदा बताया गया, जबकि पर्दे के पीछे लाखों का लेन-देन हुआ। जब ग्रामीण विरोध करने पहुंचे तो माफियाओं ने गुर्गे और लठैत खड़े कर दिए। अब हालात यह हैं कि रोजाना 50-60 हाईवा मुरम तालाब से बाहर भेजे जा रहे हैं।
खनिज विभाग की टीम बनी तमाशबीन
5 अगस्त को खनिज विभाग की टीम मौके पर जरूर पहुंची थी, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय बैरंग लौट गई। तब से आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर झांकना जरूरी समझा। दूसरी ओर ग्राम चैतरा में अवैध मुरम खनन की शिकायत कई बार हुआ हैँ. खनिज विभाग इसमें कार्यवाही करने में क्यों कतरा रहे हैँ ऐ सोचने वाली बात हैँ. क्या खनिज अधिकारी रोहित साहू मौके पर नहीं पहुंच पा रहे हैँ ऐ सवालों के घेरे में हैँ..
पंचायत से अनुमति नहीं, फिर भी तालाब पर कब्ज़ा
सरपंच चुम्मन लाल सिन्हा ने साफ कहा कि पंचायत से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई। तालाब गहरीकरण की जरूरत को आधार बनाकर कुछ ग्रामीणों की सहमति ली गई थी, लेकिन पंचायत की आधिकारिक सहमति के बिना तालाब की खुदाई अवैध है।

लाखों की रॉयल्टी चोरी, जिम्मेदार मौन
राजिम-नयापारा इलाके में मुरम की एक हाईवा 10 से 15 हजार रुपये में बिक रही है। रोजाना लाखों की रॉयल्टी और जीएसटी चोरी कर माफिया खुलेआम कारोबार कर रहे हैं। हाईवा गाड़ियां फिंगेश्वर थाना और तहसील के सामने से गुजरती हैं, लेकिन चेकिंग तक नहीं होती। कलेक्टर द्वारा बनाई गई स्पेशल टीम भी पूरी तरह निष्क्रिय है।
गांव की सड़कें और खेत बर्बादी के कगार पर
मुरम माफियाओं ने गांव की सड़कों और खेतों को तहस-नहस कर दिया है। जहां कभी डामर की सड़क थी, वहां अब गड्ढों से गुजरना मुश्किल हो गया है। किसानों के खेतों के बीच से जबरन रास्ता बनाकर हाईवा गुजारे जा रहे हैं। यहां तक कि जिन खेतों में धान की बोआई की गई है, उन्हें भी माफिया नहीं छोड़ रहे।
कलेक्टर गरियाबंद भगवान सिंह उइके का बयान
अवैध खनन की अभी तक कोई जानकारी या शिकायत नहीं आई है। टीम बनाई गई है, दिखवाते हैं, आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
खनिज विभाग की चुप्पी या माफियाओं से मिलीभगत
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब रोजाना 50-60 हाईवा मुरम तालाब और खेतों से निकल रहे हैं, तो क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं है? क्या जिला प्रशासन और खनिज विभाग की चुप्पी माफियाओं से मिलीभगत का साफ संकेत नहीं देती?

Satyanarayan Vishwakarma serves as the Chief Editor of Samwad Express, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering topics such as local and regional developments



