गरियाबंद। लगातार बारिश ने गरियाबंद जिले में बाढ़ जैसे हालात खड़े कर दिए हैं। जिले से गुजरने वाली सुखतेल नदी इस समय उफान पर है। नदी पर बने रपटे के ऊपर तेज बहाव के साथ पानी गुजर रहा है। ऐसे खतरनाक हालात में भी ग्रामीण अंचलों के बच्चे जान जोखिम में डालकर रोजाना स्कूल जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि “अगर बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”
2020 में मिली थी मंजूरी, आज भी फाइलों में अटका पुल निर्माण
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रपटे की जगह पक्का पुल बनाने का प्रस्ताव वर्ष 2020 में ही शासन स्तर पर मंजूर हो चुका था। लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी अब तक केवल कागज़ों पर ही प्रक्रिया चल रही है। टेंडर की फाइलें दफ़्तरों में धूल फांक रही हैं और ज़मीन पर काम शुरू नहीं हुआ है। नतीजा यह है कि हर बारिश के मौसम में ग्रामीणों और बच्चों को इसी खतरे से गुजरना पड़ता है।

हर साल दोहराई जाती है वही समस्या
बारिश शुरू होते ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। रपटे पर पानी आने से न केवल बच्चों की स्कूली पढ़ाई प्रभावित होती है, बल्कि ग्रामीणों का आवागमन भी ठप पड़ जाता है। खेत-खलिहान, रोज़मर्रा की ज़रूरतें और बीमार पड़ने पर अस्पताल पहुंचना – सब कुछ प्रभावित हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि “पुल नहीं बनने से हमारी ज़िंदगी हर साल पानी में बह जाती है, लेकिन सरकार और विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ता।”
ग्रामीणों का सवाल – आखिर जिम्मेदार कौन?
ग्रामीणों ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि, “जब पुल निर्माण का प्रस्ताव पास हो चुका था तो चार सालों में काम क्यों शुरू नहीं हुआ? क्या हर बार केवल कागज़ों में मंजूरी देकर जनता की आंखों में धूल झोंकी जाएगी? क्या बच्चों की जिंदगी ऐसे ही खतरे में डाली जाती रहेगी?”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि इलाके के जनप्रतिनिधि हर बार चुनाव के समय पुल निर्माण का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेते। यही कारण है कि सुखतेल नदी का यह रपटा आज भी मौत को दावत देता हुआ खड़ा है।
हालात बिगड़े तो बन सकता है बड़ा हादसा
फिलहाल नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है और तेज बहाव के बीच बच्चों का इस रपटे से गुजरना गंभीर हादसे का कारण बन सकता है। ग्रामीण प्रशासन से तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं, साथ ही लटकी हुई पुल निर्माण योजना को तत्काल ज़मीन पर उतारने की गुहार लगा रहे हैं।

Satyanarayan Vishwakarma serves as the Chief Editor of Samwad Express, a Hindi-language news outlet. He is credited as the author of articles covering topics such as local and regional developments



